भारत में युवा उद्यमियों के लिए 2025 एक रोमांचक साल साबित होने वाला है! भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई नई स्टार्टअप योजनाओं के साथ, अब अपना व्यवसाय शुरू करना और उसे बढ़ाना पहले से कहीं ज़्यादा आसान हो गया है। इन योजनाओं का लक्ष्य न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करना है, बल्कि नवप्रवर्तन को बढ़ावा देना, रोजगार के अवसर पैदा करना और भारत को वैश्विक स्टार्टअप हब के रूप में स्थापित करना भी है। यदि आप एक युवा और महत्वाकांक्षी उद्यमी हैं, तो यह लेख आपके लिए है। हम आपको नई स्टार्टअप योजना 2025 की गहन जानकारी देंगे, ताकि आप इन अवसरों का अधिकतम लाभ उठा सकें।
युवाओं के लिए 2025 की नई स्टार्टअप योजनाएं: एक परिचय
भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है, और 2025 की नई योजनाएं इसे और गति देने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। इन पहलों का मुख्य उद्देश्य युवा उद्यमियों को आवश्यक संसाधन, मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता प्रदान करना है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि हर इनोवेटिव आइडिया को सफल होने का मौका मिले, चाहे वह किसी भी क्षेत्र से हो। ये योजनाएं केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवा उद्यमियों तक भी पहुंच बनाने का लक्ष्य रखती हैं।
इन योजनाओं में न केवल धन उपलब्ध कराया जाता है, बल्कि कर में छूट, सरल नियामक प्रक्रियाएं, और सरकारी निविदाओं में प्राथमिकता जैसी कई सुविधाएं भी शामिल हैं। यह समग्र दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि नए व्यवसाय न केवल शुरू हों, बल्कि वे स्थायी रूप से विकसित भी हों। यह देश में उद्यमिता की भावना को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
भारत सरकार की प्रमुख पहलें: स्टार्टअप इंडिया योजना 2025
स्टार्टअप इंडिया योजना केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारतीय स्टार्टअप्स को एक मजबूत आधार प्रदान करती है। 2025 में, यह योजना और भी अधिक सशक्त होकर युवा उद्यमियों के लिए कई नए रास्ते खोल रही है। इसका मुख्य फोकस उन स्टार्टअप्स पर है जिन्हें DPIIT (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) से मान्यता प्राप्त है। इस योजना के तहत कई आकर्षक प्रोत्साहन दिए जाते हैं जो स्टार्टअप्स के शुरुआती संघर्षों को कम करने में मदद करते हैं।
- आयकर में छूट: डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को उनकी स्थापना के पहले 10 सालों में से किसी भी 3 लगातार सालों के लिए आयकर में 100% छूट मिलती है। यह वित्तीय बोझ को काफी कम कर देता है, जिससे स्टार्टअप अपने विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
- “फंड ऑफ फंड्स” की सुविधा: इस योजना के तहत ₹10,000 करोड़ का एक “फंड ऑफ फंड्स” बनाया गया है। यह फंड SEBI से पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंडों (AIFs) में निवेश करता है, जो बदले में स्टार्टअप्स को इक्विटी और इक्विटी-लिंक्ड फंडिंग प्रदान करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि पूंजी की कमी के कारण कोई भी इनोवेटिव आइडिया पीछे न छूटे।
- सरकारी टेंडर में प्राथमिकता: डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को सरकारी टेंडर प्रक्रिया में प्राथमिकता मिलती है। उन्हें अनुभव या टर्नओवर के मानदंडों में छूट मिलती है, जिससे सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी आसान हो जाती है। यह न केवल राजस्व का एक स्थिर स्रोत प्रदान करता है, बल्कि स्टार्टअप्स को अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित करने का अवसर भी देता है।
- सिंगल विंडो क्लीयरेंस और सेल्फ-सर्टिफिकेशन: स्टार्टअप्स को विभिन्न अनुपालन प्रक्रियाओं के लिए “सिंगल विंडो क्लीयरेंस” की सुविधा मिलती है। इसके अलावा, श्रम और पर्यावरण कानूनों के तहत कुछ अनुपालनों के लिए उन्हें सेल्फ-सर्टिफिकेशन की अनुमति है, जिससे नियामक बोझ कम होता है।
- पात्रता मानदंड: इस योजना का लाभ उठाने के लिए, स्टार्टअप को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप), या पंजीकृत पार्टनरशिप फर्म के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। इसकी स्थापना पिछले 10 सालों के भीतर हुई हो, और इसका वार्षिक टर्नओवर ₹100 करोड़ से कम होना चाहिए। साथ ही, तकनीकी या सेवा क्षेत्र में नवाचार (इनोवेशन) आवश्यक है। स्टार्टअप इंडिया योजना 2025 के बारे में अधिक जानकारी के लिए, आप यहां क्लिक कर सकते हैं।
प्रारंभिक चरण के स्टार्टअप्स के लिए वित्तीय सहायता: स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम
किसी भी स्टार्टअप के लिए सबसे बड़ी चुनौती शुरुआती फंडिंग होती है। इसी समस्या को हल करने के लिए स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम लाई गई है। यह योजना विशेष रूप से उन स्टार्टअप्स को लक्षित करती है जो अभी अपनी शुरुआती अवस्था में हैं और उन्हें प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, उत्पाद परीक्षण, बाजार प्रवेश या व्यावसायीकरण के लिए पूंजी की आवश्यकता है। यह योजना एक महत्वपूर्ण कदम है जो युवा उद्यमियों को अपने विचारों को वास्तविकता में बदलने में मदद करती है।
- पात्रता और फंडिंग: यह योजना उन नए स्टार्टअप्स के लिए है जिनकी स्थापना 2 साल से कम समय पहले हुई हो और जिनका टर्नओवर ₹10 करोड़ तक हो। ऐसे स्टार्टअप्स ₹50 लाख तक का फंड प्राप्त कर सकते हैं। यह फंड इक्विटी लिंक्ड या ऋण लिंक्ड निवेश के रूप में दिया जाता है और इनक्यूबेटरों के माध्यम से वितरित होता है। यह विशेष रूप से प्रोटोटाइप विकसित करने और प्रारंभिक बाजार प्रवेश के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इनक्यूबेटरों की भूमिका: इस योजना में इनक्यूबेटर भी पात्र हैं, बशर्ते उनके पास 2 साल से अधिक का अनुभव हो। इनक्यूबेटर स्टार्टअप्स को न केवल वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें मेंटरशिप, तकनीकी सहायता और नेटवर्किंग के अवसर भी देते हैं, जो एक शुरुआती स्टार्टअप के लिए अमूल्य हैं।
- क्रेडिट गारंटी योजना: फंडिंग की बाधाओं को कम करने के लिए, सरकार ने एक क्रेडिट गारंटी योजना भी शुरू की है। इसके तहत, पात्र स्टार्टअप्स को ₹10 करोड़ तक का ऋण बिना किसी गारंटी के मिल सकता है। यह छोटे और मध्यम आकार के स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा वरदान है, क्योंकि उन्हें अक्सर बैंकों से ऋण प्राप्त करने में मुश्किल होती है। यह योजना भारत में उद्यमिता के लिए एक मजबूत आधार तैयार करती है।
राज्य-विशिष्ट समर्थन: महाराष्ट्र की नई स्टार्टअप नीति 2025
केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। महाराष्ट्र ने 2025 के लिए अपनी नई स्टार्टअप नीति के साथ एक बड़ा कदम उठाया है, जिसका लक्ष्य राज्य में उद्यमिता को अभूतपूर्व स्तर तक ले जाना है। इस नीति का उद्देश्य न केवल स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ाना है, बल्कि उन्हें सफल होने के लिए आवश्यक सहायता भी प्रदान करना है।
- विशाल लक्ष्य: महाराष्ट्र सरकार ने अगले 5 सालों में 50 हजार नए स्टार्टअप बनाने और 1.25 लाख नए उद्यमियों को तैयार करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। यह राज्य को देश के स्टार्टअप मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाएगा।
- कौशल विकास पर जोर: कौशल विकास विभाग को 50,000 स्टार्टअप्स को मंजूरी देने का काम सौंपा गया है। यह सुनिश्चित करेगा कि युवा उद्यमियों को न केवल वित्त मिले, बल्कि उन्हें अपने व्यवसायों को सफलतापूर्वक चलाने के लिए आवश्यक कौशल और प्रशिक्षण भी मिले।
- सरकारी विभागों के साथ सहयोग: नई नीति स्टार्टअप्स को सरकारी विभागों के साथ काम करने के अवसर प्रदान करती है। सरकारी विभागों के कुल बजट का 0.5% नवाचार और उद्यमिता पर खर्च किया जाएगा। यह स्टार्टअप्स को सरकारी खरीद प्रक्रिया में भाग लेने और अपनी सेवाओं व उत्पादों को सीधे सरकार तक पहुंचाने का अवसर देता है।
- उच्च स्तरीय समिति: मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जो इस नीति के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी और स्टार्टअप्स के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करेगी। यह नीति के प्रभावी और कुशल निष्पादन को सुनिश्चित करेगा। महाराष्ट्र की इस नई नीति के बारे में अधिक जानकारी आप यहां पढ़ सकते हैं।
व्यक्तिगत उद्यमिता को बढ़ावा: मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना
कई राज्यों में चल रही मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना (जैसे मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में) एक ऐसी पहल है जो सीधे तौर पर व्यक्तिगत युवा उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। यह योजना उन युवाओं के लिए डिज़ाइन की गई है जिनके पास एक व्यावसायिक विचार है लेकिन उसे शुरू करने के लिए प्रारंभिक पूंजी की कमी है। यह योजना ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वरोजगार को बढ़ावा देने में सहायक है।
- ब्याज-मुक्त ऋण: इस योजना के तहत, युवा उद्यमियों को अपना व्यवसाय शुरू करने और बढ़ाने के लिए ₹5 लाख तक का ब्याज-मुक्त ऋण प्रदान किया जाता है। यह ऋण स्टार्टअप्स को अपने शुरुआती खर्चों जैसे उपकरण खरीदने, किराया चुकाने या शुरुआती इन्वेंट्री खरीदने में मदद करता है।
- आवेदन प्रक्रिया: इस योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया आमतौर पर राज्य सरकार की उद्योग विभाग की वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन होती है। इसमें आवश्यक दस्तावेज जमा करना और एक व्यवसाय योजना प्रस्तुत करना शामिल होता है। प्रक्रिया को यथासंभव सरल बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक युवा इसका लाभ उठा सकें। यह योजना देश के कोने-कोने में उद्यमिता को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
2025 में क्या नया है और क्यों ये योजनाएं महत्वपूर्ण हैं?
2025 की नई स्टार्टअप योजनाएं केवल पिछली नीतियों का विस्तार नहीं हैं; वे एक अधिक गतिशील और समावेशी दृष्टिकोण अपनाती हैं। इन योजनाओं का जोर अब केवल बड़े तकनीकी स्टार्टअप्स पर नहीं है, बल्कि यह कृषि, हस्तशिल्प, सामाजिक उद्यमिता और ग्रामीण क्षेत्रों में नवाचार को भी बढ़ावा दे रहा है। यह एक बड़ा बदलाव है जो भारत की विविध अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखता है।
- समग्र विकास: नई नीतियां वित्तीय सहायता, कर छूट, सरकारी टेंडर में प्राथमिकता, कौशल विकास और नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। यह एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है जहां स्टार्टअप्स न केवल जीवित रहते हैं, बल्कि फलते-फूलते भी हैं।
- रोजगार सृजन: इन योजनाओं का एक प्रमुख उद्देश्य रोजगार के अवसर पैदा करना है। जब युवा उद्यमी सफल होते हैं, तो वे न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी नौकरियां पैदा करते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
- वैश्विक पहचान: भारत को वैश्विक स्टार्टअप मानचित्र पर लाने के लिए ये योजनाएं महत्वपूर्ण हैं। मजबूत घरेलू स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत को निवेश और प्रतिभा के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाता है। यह #StartupIndia की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- कम नौकरशाही: सरकार नौकरशाही को कम करने और स्टार्टअप्स के लिए व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने पर जोर दे रही है। यह सुनिश्चित करता है कि उद्यमियों को अनावश्यक कागजी कार्रवाई या जटिल प्रक्रियाओं में फंसना न पड़े।
नई स्टार्टअप योजनाओं के फायदे और चुनौतियाँ
किसी भी नीति की तरह, नई स्टार्टअप योजना 2025 के भी अपने फायदे और चुनौतियाँ हैं। युवा उद्यमियों को इन दोनों पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है ताकि वे सूचित निर्णय ले सकें और संभावित बाधाओं के लिए तैयार रहें।
फायदे (Pros) | चुनौतियाँ (Cons) |
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वित्तीय सहायता और आसान ऋण: कम ब्याज दरों पर या बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध हैं, जिससे शुरुआती पूंजी की कमी दूर होती है। | कठोर पात्रता मानदंड: कुछ योजनाओं में विशिष्टता या टर्नओवर की शर्तें होती हैं, जिससे सभी स्टार्टअप पात्र नहीं हो पाते। |
कर छूट और अनुपालन में सरलता: कर में छूट से वित्तीय बोझ कम होता है, और सरल अनुपालन प्रक्रियाओं से समय और प्रयास की बचत होती है। | उच्च प्रतिस्पर्धा: सरकारी योजनाओं और फंड्स के लिए बड़ी संख्या में स्टार्टअप्स प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे चयन मुश्किल हो सकता है। |
सरकारी टेंडर में प्राथमिकता: सरकारी परियोजनाओं में भागीदारी के अवसर मिलते हैं, जो नए स्टार्टअप्स के लिए एक बड़ा बाजार खोलते हैं। | जानकारी का अभाव या जटिल प्रक्रियाएं: कुछ उद्यमियों को योजनाओं की जानकारी नहीं होती, या आवेदन प्रक्रिया को समझना कठिन लग सकता है। |
कौशल विकास और मेंटरशिप: इनक्यूबेटरों और सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से विशेषज्ञों से मार्गदर्शन और प्रशिक्षण मिलता है। | फंडिंग के वितरण में देरी: आवेदन से लेकर फंड मिलने तक की प्रक्रिया में समय लग सकता है, जो तत्काल जरूरतों वाले स्टार्टअप्स के लिए चुनौती हो सकती है। |
इन फायदों और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, युवा उद्यमियों को अपनी व्यावसायिक योजना को सावधानीपूर्वक तैयार करना चाहिए और उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना चाहिए।
स्टार्टअप शुरू करने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से पहले, एक मजबूत नींव बनाना महत्वपूर्ण है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं जिन्हें एक युवा उद्यमी को ध्यान में रखना चाहिए:
- बाजार अनुसंधान और व्यावसायिक योजना: किसी भी व्यवसाय को शुरू करने से पहले गहन बाजार अनुसंधान करें। अपनी व्यावसायिक योजना को स्पष्ट रूप से परिभाषित करें, जिसमें आपके उत्पाद/सेवा, लक्षित ग्राहक, राजस्व मॉडल और प्रतिस्पर्धात्मक विश्लेषण शामिल हो।
- सही योजना का चुनाव: विभिन्न सरकारी योजनाओं की जांच करें और उस योजना का चयन करें जो आपके व्यवसाय के प्रकार और चरण के लिए सबसे उपयुक्त हो। पात्रता मानदंडों को ध्यान से पढ़ें।
- कानूनी औपचारिकताएं: अपने स्टार्टअप को सही कानूनी संरचना में पंजीकृत करें (जैसे प्राइवेट लिमिटेड, एलएलपी)। डीपीआईआईटी मान्यता के लिए आवेदन करें, क्योंकि यह कई योजनाओं के लिए आवश्यक है।
- नेटवर्किंग और मेंटरशिप: स्टार्टअप इकोसिस्टम में सक्रिय रहें। मेंटर्स और उद्योग विशेषज्ञों से जुड़ें जो आपको मार्गदर्शन और मूल्यवान सलाह दे सकें।
- धैर्य और दृढ़ता: एक स्टार्टअप को सफल होने में समय और बहुत प्रयास लगता है। असफलताओं से सीखें और अपनी यात्रा में धैर्य और दृढ़ता बनाए रखें।
इस वीडियो में और जानें
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना और अन्य सरकारी सहायता योजनाओं के बारे में अधिक विस्तृत जानकारी और आवेदन प्रक्रिया को समझने के लिए, आप इस उपयोगी वीडियो को देख सकते हैं:
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
- प्रश्न 1: स्टार्टअप इंडिया योजना 2025 के लिए आवेदन कैसे करें?
उत्तर: स्टार्टअप इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। आपको अपने स्टार्टअप की डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त करनी होगी और आवश्यक दस्तावेज जैसे पैन, आधार, निगमन प्रमाण पत्र, और व्यवसाय योजना प्रस्तुत करनी होगी। यह प्रक्रिया काफी सीधी है और पोर्टल पर विस्तृत दिशानिर्देश उपलब्ध हैं।
- प्रश्न 2: क्या मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना केवल विशिष्ट राज्यों में उपलब्ध है?
उत्तर: हाँ, मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना जैसी योजनाएं आमतौर पर राज्य-विशिष्ट होती हैं। यह योजना मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में प्रचलित है, जहाँ राज्य सरकारें अपने युवाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं। आपको अपने राज्य की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर पात्रता और आवेदन प्रक्रिया की पुष्टि करनी होगी।
- प्रश्न 3: सीड फंड स्कीम से कितनी फंडिंग मिल सकती है?
उत्तर: स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम के तहत शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स को प्रोटोटाइप डेवलपमेंट, उत्पाद परीक्षण, बाजार प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए ₹50 लाख तक की वित्तीय सहायता मिल सकती है। यह फंड इक्विटी लिंक्ड या ऋण लिंक्ड निवेश के रूप में दिया जाता है, जो इनक्यूबेटरों के माध्यम से वितरित होता है। अधिक जानकारी के लिए, आप प्रभात खबर के इस लेख को भी देख सकते हैं: सरकारी योजनाओं से शुरू करें अपना स्टार्टअप।
- प्रश्न 4: स्टार्टअप्स को आयकर में छूट कैसे मिलती है?
उत्तर: डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को अपनी स्थापना के पहले 10 साल में से किसी भी 3 लगातार सालों के लिए आयकर में 100% छूट मिलती है, बशर्ते उनका वार्षिक टर्नओवर ₹100 करोड़ से अधिक न हो। इसके लिए, स्टार्टअप को फॉर्म 1 और 2 में आवेदन करना होता है, जिसे इंटर-मिनिस्टीरियल बोर्ड (IMB) द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
- प्रश्न 5: क्या गैर-तकनीकी स्टार्टअप भी इन योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं?
उत्तर: हाँ, कई योजनाओं में गैर-तकनीकी स्टार्टअप भी पात्र हो सकते हैं, बशर्ते वे नवाचार (innovation) या स्केल (scalability) का प्रदर्शन करें। उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र की नई स्टार्टअप नीति 2025 जैसे राज्य की योजनाएं कृषि, हस्तकला, पर्यटन, और अन्य पारंपरिक क्षेत्रों में भी स्टार्टअप्स को बढ़ावा दे रही हैं, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करते हैं।
निष्कर्ष
2025 में भारत में युवा उद्यमियों के लिए अवसर असीमित हैं। सरकार की नई स्टार्टअप योजनाएं एक मजबूत सहारा प्रदान कर रही हैं, जो वित्तीय सहायता, कर छूट, सरल प्रक्रियाओं और मेंटरशिप के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा दे रही हैं। चाहे आप एक तकनीकी स्टार्टअप शुरू करना चाहते हों या एक पारंपरिक व्यवसाय को नया रूप देना चाहते हों, ये योजनाएं आपके सपने को साकार करने में मदद कर सकती हैं।
इन योजनाओं का लाभ उठाकर, आप न केवल अपने लिए एक सफल भविष्य का निर्माण कर सकते हैं, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन में भी योगदान दे सकते हैं। तो देर किस बात की? अपनी व्यावसायिक योजना को अंतिम रूप दें, सही योजना का चयन करें, और भारत के विकास में अपना योगदान दें। यदि आपके पास कोई प्रश्न है या आप और जानकारी चाहते हैं, तो कृपया हमारे हमसे संपर्क करें पेज पर संपर्क करें, या हमारे हमारे बारे में अनुभाग में और जानें। इस लेख को अन्य इच्छुक युवा उद्यमियों के साथ साझा करना न भूलें!
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